रविवार, 25 मार्च 2012

ख़ता



उसकी इस ख़ता की भी कोई सज़ा नहीं  
मिलने का किया वादा पर वो  मिला नहीं

वो हसीं बात आज उसने ही बोल दी यारो  
जो मेरे दिल मे थी मैंने मगर  कहा नहीं

हाल-ए-दिल खत में तुझे तो मैंने रोज़ लिखा
क़ासिद को खत दिया पर तेरा पता लिखा नहीं  

मेरी खता है जो छूना तुझे चाहूँ मैं मगर
इतना हसीं है तू, क्या तेरी कोई खता नहीं ?

मुझपे पहला पत्थर किसी अपने ने उछाला था   
और तो गैर थे मुझे उनसे कोई गिला नहीं

इन अमीरों के आगे हाथ क्यूँ फैलाये "विक्रम"
ये भी तो इंसान हैं साहब, कोई खुदा नहीं

रविवार, 18 मार्च 2012

सफ़र




हयात-ए-ग़म का ये सफर नहीं आसान मेरे यार, 
यहाँ आएंगे अभी और भी तूफान मेरे यार | 

ज़रा सी तीरगी से हो गए हो हिरासान मेरे यार, 
ज़िंदगी है ये तारीकियों का उनवान मेरे यार |

लड़ना मुश्किलों से है हर इंसान की किस्मत, 
इनसे मोड़ ले जो मुंह वो क्या इंसान मेरे यार??

आधे रास्ते से हारकर तुम लौट जाओगे ??
इस कदर न बनो तुम नादान मेरे यार |

कुछ पल ठहर तू, सांस ले फिर बढ़ा चल आगे  
थक जाये गर तू सफर के दौरान मेरे यार 

मौत तो आनी है, इससे डरता क्यूँ है तू ?
मौत आज़ादी और है ज़िंदगी ज़िंदान मेरे यार |

तू कर्म करता जा और न फल की चिंता कर,
खुद गीता में कहता है तेरा भगवान मेरे यार |

औरों के वादे कसमें सब भुला दो लेकिन, 
करो याद खुद से खुद का पैमान मेरे यार |


सोमवार, 5 मार्च 2012

गुजारिश




बेशक गुज़रो मेरी गली से, मगर नकाब ओढ़ के | 
न गिराओ किसी पर बर्क-ए-हुस्न मुझे छोड़ के |

ये बिजलियाँ मुझ पे गिराओ मैं जलना चाहता हूँ 
हद है तेरा हुस्न, मैं हद से गुजरना चाहता हूँ 

हदें तोड़ जमाने की, मुझ पर एतबार तो कर |
मैंने सौ बार किया, तू भी इक बार तो कर |

तू भी इक बार किसी से प्यार कर के तो देख |
सर्द रात छत पे किसी का इंतज़ार करके तो देख |

किसी का इंतज़ार गर न मज़ा देने लगे तो कहना,
बाद-ए-सबा भी उसका न पता देने लगे तो कहना 

बाद-ए-सबा बनीं क़ासिद-ओ-हमराज़ प्यार मे देखो | 
उड़ा के ले गयी ख़त वो मेरा आज प्यार मे देखो |

ख़त मे था लिखा, जो हवा आई उनके घर छोड़ के |
बेशक गुज़रो मेरी गली से, मगर नकाब ओढ़ के |  


रविवार, 4 मार्च 2012

इम्तिहाँ



तू असलियत में क्या है, आज देख लेते हैं ।
तू है पत्थर या खुदा है, आज देख लेते हैं ।

इम्तिहाँ मेरा लिया तूने रोज़ रोज़ खूब । 
आज तेरा इम्तिहाँ है, आज देख लेते हैं ।

मैं तुझे जानता, पहचानता, मानता नहीं ।
तेरे सच से कौन आशना है, आज देख लेते हैं ।

मैं भरोसा करूँ तेरा, या न करूँ, है मेरी मर्ज़ी
क्या तुझे खुद पे भरोसा है, आज देख लेते हैं ।


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