गुरुवार, 4 नवंबर 2010

प्रेम

 
मुझे दिल की दीवारों पर तुम्हारी प्रीत लिखने दो
अपनी पायल की धुन पर मुझे इक गीत लिखने दो
मेरे उस गीत के हर छंद में जिक्र तुम्हारा हो
मेरे शब्दों के आईने में अपनी तस्वीर दिखने दो
मुझे दिल की ........

मेरे प्रेम और पूजा में न कोई भेद रह जाए
मेरा दिल प्रेम की देवी तेरा मंदिर ही बन जाए
तुम्हारी प्रेम सरिता में मैं कुछ यूँ उतर जाऊँ
न तो डूबूं कहीं उसमे, न उसमे मैं तिर पाऊँ
मुझे लहरों की मानिंद अपने संग-संग बहने दो
मुझे दिल की.......


असर हो प्रेम का तेरे की मैं खुद मैं न रह जाऊँ
टूट के चूर हो जाऊँ और तुम में ही मिल जाऊँ
मुझे न चाहिए ये जिस्म मिटता है तो मिट जाए
बस मेरी रूह को जन्नत में तेरी रूह मिल जाए
बनाने को दास्ताँ-ए-इश्क मेरी शख्शियत भी मिटने दो

मुझे दिल की दीवारों पर तुम्हारी प्रीत लिखने दो
अपनी पायल की धुन पर मुझे इक गीत लिखने दो

5 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  2. आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...

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  3. बहुत सुंदर रचना है... दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
    sparkindians.blogspot.com

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  4. धन्यवाद संजय जी तथा डिम्पल जी ......... आप लोगो के प्रेम के लिए आभारी हूँ

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  5. Maar Daala Bhai........Kya Baat Hai.

    Owsome....Yaar......Owsome......

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