मुझे दिल की दीवारों पर तुम्हारी प्रीत लिखने दो
अपनी पायल की धुन पर मुझे इक गीत लिखने दो
मेरे उस गीत के हर छंद में जिक्र तुम्हारा हो
मेरे शब्दों के आईने में अपनी तस्वीर दिखने दो
मुझे दिल की ........
मेरे प्रेम और पूजा में न कोई भेद रह जाए
मेरा दिल प्रेम की देवी तेरा मंदिर ही बन जाए
तुम्हारी प्रेम सरिता में मैं कुछ यूँ उतर जाऊँ
न तो डूबूं कहीं उसमे, न उसमे मैं तिर पाऊँ
मुझे लहरों की मानिंद अपने संग-संग बहने दो
मुझे दिल की.......
असर हो प्रेम का तेरे की मैं खुद मैं न रह जाऊँ
टूट के चूर हो जाऊँ और तुम में ही मिल जाऊँ
मुझे न चाहिए ये जिस्म मिटता है तो मिट जाए
बस मेरी रूह को जन्नत में तेरी रूह मिल जाए
बनाने को दास्ताँ-ए-इश्क मेरी शख्शियत भी मिटने दो
मुझे दिल की दीवारों पर तुम्हारी प्रीत लिखने दो
अपनी पायल की धुन पर मुझे इक गीत लिखने दो
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है... दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंsparkindians.blogspot.com
धन्यवाद संजय जी तथा डिम्पल जी ......... आप लोगो के प्रेम के लिए आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंMaar Daala Bhai........Kya Baat Hai.
जवाब देंहटाएंOwsome....Yaar......Owsome......