एक समय की बात है, कहीं दूर एक "भारत" नाम की बगिया थी | बगिया में २८ बड़े और ७ छोटे, कुल मिलाकर ३५ पेड़-पौधे थे | बहुत सुन्दर बगिया थी वो | हर पेड़ पर ढेर सारे घोसले थे जिनमे तरह-तरह के पक्षी रहते थे | वो सब पक्षी दिन भर मेहनत करके अपने बच्चों के लिए दाना लाते थे | सब बिलकुल सुखपूर्वक रह रहे थे | एक दिन वहां "कांग्रेस" नाम का एक कुत्ता आया | वो बहुत भूखा और कमज़ोर था | उसने पक्षियों से भोजन माँगा | पक्षियों को दया आ गयी | उन्होंने उसे अपने बच्चो के लिए लाये हुए भोजन में से कुछ खाने को दे दिया | कुत्ता भोजन करके बहुत प्रसन्न हुआ | उसने पक्षियों से कहा, "आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद | आपने मेरा जीवन बचाया है | मुझे आप अपना एहसान चुकाने का एक अवसर दें |"
पक्षी कुत्ते के आत्मसम्मान की भावना से बड़े प्रभावित हुए | उन्होंने कुत्ते से कहा, " तुम हमारे लिए एक काम कर सकते हो | हम सभी पक्षी पूरे दिन भोजन की तलाश में बाहर रहते है| हमारे बच्चे और अंडे यहाँ घोसलों में असुरक्षित रहते है | तुम इनकी यहाँ रहकर सुरक्षा करो, बदले में हम तुम्हे रोज़ भोजन दिया करेंगे |"
कुत्ता ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो गया | पक्षी अगले दिन से निश्चिंत होकर भोजन की खोज में जाने लगे | वे शाम को लौट कर कुत्ते को भोजन देते | सब कुछ इसी प्रकार कुछ दिनों तक चलता रहा | किन्तु एक शाम जब पक्षी वापस लौटे तो उनके घोसलों से कुछ अंडे गायब थे | पक्षियों ने कुत्ते से पूछा तो,"आज आप लोगों के जाने के सांप आया था उसने कुछ अंडे खा लिए, मुझे इस बात का अत्यंत खेद है किन्तु अब चिंता की कोई बात नहीं है | मैंने उस सांप को भगा दिया है | वह अब यहाँ आने की हिम्मत कभी नहीं करेगा |"
पक्षी कुत्ते की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए अपने अपने घोसलों में लौट गए | लेकिन अब ऐसी घटनाएँ रोज़ होने लगी | सारे पक्षी बहुत परेशान थे | तभी अन्ना नाम वाले बूढ़े बुद्धिमान कबूतर ने एक उपाय सुझाया | उसने कहा," हम सब लोग जब यहाँ से चले जाते हैं फिर यहाँ क्या होता है हमे नहीं पता| इसलिए अब से हम में से कोई एक पक्षी लोकपाल बनेगा और यहाँ रह कर निगरानी करेगा | " अगले दिन से एक पक्षी रुक कर निगरानी करने लगा तो यह पाया की कांग्रेस ही उनके अण्डों को खा रहा थी | लोकपाल ने यह बात सभी पक्षियों का यह बात बताई तो वो गुस्से से कांग्रेस पर हमला करने जाने लगे | अन्ना ने उन्हें रोका और कहा," हमे यह सब शान्ति पूर्ण ढंग से करना चाहिए | हम शांति से कांग्रेस को यहाँ से जाने के लिए कहेंगे |"
सारे पक्षी कांग्रेस के पास गए और अन्ना ने उसे उसके कुकृत्य के बारे में बताते हुए वहाँ से निकल जाने को कहा | हडबडाहट और भय में कांग्रेस ने अन्ना पर हमला करके उसे निगल लिया | बाकी सभी पक्षी यह देखकर गुस्से में कांग्रेस पर चोंच मारने लगे | उधर अन्ना भी पेट के अन्दर चोंच मारने लगा | कुत्ते ने अन्ना को उगलना चाहा लेकिन अन्ना जान गया था कि वह अन्दर से ज्यादा चोट पहुंचा सकता है | उसने अपने पंजे अन्दर ही गड़ा दिए और चोंच मारता रहा | इस तरह कांग्रेस मर गया और अन्ना पेट फाड़कर बाहर आ गया |
(अब देखना यह है कि इस कांग्रेस नाम के भेड़िये का पेट कब फटता है |)
सार्थक प्रस्तुति .आभार
जवाब देंहटाएंBLOG PAHELI NO.1
आस्था और विश्वास से ओतप्रोत बेहतरीन कहानी...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 22-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंkya khoob ghada hai ... wah
जवाब देंहटाएंKAHANI KE ROOP MAIN AAPNE YATHARTH KO BATAAYAA HAI PER AKELAA CONGRESS HI NAHI SAARE NETAA ISI THAALI KE CHATTE BATTE HAIN .JISKI LAATHI USKI BHINSE KI KAHAWAT YAHAN CHARITATARTH HO RAHI HAI
जवाब देंहटाएंशानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
" http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया :)
जवाब देंहटाएंwah bahut hi khoob ...
जवाब देंहटाएंWaah Vikram Sahab.. Aapke likhne ka andaaz bahut acchha hai.. Badhai..
जवाब देंहटाएंap to gzal kavita k sath hi sath achi kahaniya b likhte h...
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर एस.विक्रम जी
जवाब देंहटाएंसादर वंदे मातरम् !
सस्नेहाभिवादन !
ओये होए … ग़ज़्ज़ब ! कमाल !!
बहुत सुकून मिला … अभी भी निडरता से लेखन करने वाली पीढ़ियां आ रही हैं …
जिन बिंबों को ले'कर आपने पारंपरिक शैली में कहानी लिखी है उसके लिए आपको बहुत बधाई !
आपके लिए मेरे एक गीत की कुछ पंक्तियां-
वृहद् विशद् दायित्व ; क़लम! मत भय कर, मत कर तू विश्राम,
चलती चल अविराम, स्वयं के रक्त में अपनी देह डुबो !
मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है ,
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है
मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है
पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
great
जवाब देंहटाएंi am speechless.