बुधवार, 14 सितंबर 2011

हमसफ़र



 बस दो कदम और साथ आओ तो सही 
साथ चलने का वादा निभाओ तो सही 

तुम ही कहते थे चलोगे साथ मेरे सदा 
और कहते थे "कभी आजमाओ तो सही"

इतना बड़ा सफ़र देखो बातों में कट गया
चुप न रहो, गीत कोई सुनाओ तो सही 

रूठ कर मुँह न फेरो ऐ मेरे हमसफ़र 
हुई है क्या खता ये बताओ तो सही 

था ये मुश्किल सफ़र, राह थी बड़ी कठिन 
सामने है अब मंज़िल, मुस्कुराओ तो सही 

हो जायेगा "विक्रम" आसान हर सफ़र 
कोई हाथ हाथों में लेकर कदम बढाओ तो सही 

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