रविवार, 1 जनवरी 2012

प्रेम की कविता

कोई प्रेम की लिख दो कविता 
और  गाओ मन भा जाये|
मुझमे भर दो सुंदरता
मेरा अंग-अंग खिल जाये|

तुम चाहो तो मेरे मन की
दीवारों पे छा जाओ ,
मेरा हृदय है खाली कमरा
इस हृदय मे तुम जाओ|
कोई प्रेम की भाषा लिखता
मेरी आंखे जो बतलाये|
उसमे गाते तुम कविता
कोई और समझ पाये |
हर आस बंधी है तुमसे
मैं पास तेरे जाऊ|
ये सांस चले उस दम तक
तेरे साथ ही फिर मर जाऊ|
उस जीवन की क्या कविता
जिसमे तुमको पाये|
कोई प्रेम की लिख दो कविता
और  गाओ  मन भा जाये|
 


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