मैं सुनता रहूँ
तुम कहती रहो
रग रग में तुम यूँ ही
मेरे तुम बहती रहो
रात ढल जाने दो
चाँद गल जाने दो
हो जाने दो सहर
सूर्य जल जाने जो
बस कहती रहो
तुम कहती रहो
मैं सुनता रहूँ
तुम कहती रहो
शब्द खोये हैं मेरे
कुछ भी करूँ कैसे बयाँ
तुम जानती हो सब
कहने को बाकी क्या रहा
बस तेरे ख्वाब खुद मे
मैं बुनता रहूँ
तुम कहती रहो
बस मैं सुनता रहूँ
बीत जाये ज़िन्दगी
तेरी बातों में यूँ ही
तू है साथ तो मुझे
मौत का भी डर नहीं
काट लूँगा हर सफ़र
संग जो तुम चलती रहो
मैं सुनता रहूँ
तुम कहती रहो
रग रग में तुम यूँ ही
मेरे तुम बहती रहो
बस कहती रहो
बस...
कहती ही रहो.......
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति . अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंअत्यंत ही सुंदर
जवाब देंहटाएं