मुझे हर शह में बस तेरा, तेरा दीदार होता है |
तू होकर दूर भी, मेरे जिगर के पास होता है |
कि है ये रोग वो, जिसकी शफ़ा कोई नहीं होती |
ये दर्द-ए-ख़ास है, वो नाम जिसका प्यार होता है |
रातें बेजा गुजरती हैं, दिन भी बेकार होते है |
अपने महबूब से मिलने को दिल बेक़रार होते हैं |
नहीं इसकी ख़ता कोई, मगर फिर भी न जाने क्यूँ |
जिन्हें नज़रें मिलाती हैं, वो दिल गुनाहगार होते हैं |
चादर की सिलवटों में दबी खुशबू उसी की है |
हाँ इस झूमर कि हर आवाज़ भी लगती उसी की है |
मै दरवाज़े पे हर आहट को सुन क्यूँ कर के न चौकूँ |
कि हर आहट पे लगता है कि ये दस्तक उसी की है |
तू होकर दूर भी, मेरे जिगर के पास होता है |
कि है ये रोग वो, जिसकी शफ़ा कोई नहीं होती |
ये दर्द-ए-ख़ास है, वो नाम जिसका प्यार होता है |
रातें बेजा गुजरती हैं, दिन भी बेकार होते है |
अपने महबूब से मिलने को दिल बेक़रार होते हैं |
नहीं इसकी ख़ता कोई, मगर फिर भी न जाने क्यूँ |
जिन्हें नज़रें मिलाती हैं, वो दिल गुनाहगार होते हैं |
चादर की सिलवटों में दबी खुशबू उसी की है |
हाँ इस झूमर कि हर आवाज़ भी लगती उसी की है |
मै दरवाज़े पे हर आहट को सुन क्यूँ कर के न चौकूँ |
कि हर आहट पे लगता है कि ये दस्तक उसी की है |
कि हर आहट पे लगता है कि ये दस्तक उसी की है |
मै दरवाज़े पे हर आहट को सुन क्यूँ कर के न चौकूँ |
जवाब देंहटाएंकि हर आहट पे लगता है कि ये दस्तक उसी की है |
खुबसूरत शेर , दीवाली की शुभकामनायें