रविवार, 6 फ़रवरी 2011

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जब तू मेरे साथ (online) होती है
जाने क्या बात होती है 
दिल होता है मेरे सीने में 
पर धड़कन तेरे पास होती है 
नहीं देखा है तुम्हे मैंने 
मगर अपनी सी लगाती हो 
शक्ल और आवाज से ही नहीं 
दिल से भी पहचान होती है 
मैं वहशी हूँ मै पागल हूँ
मैं जानता हूँ ये सब 
मगर मैं इंसान होता हूँ 
जब तू मेरे साथ होती है |
जब तू मेरे साथ होती है |


(यह रचना एक फेसबुक मित्र  के आग्रह पर उनके के लिए लिखी थी )

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