शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

आज बारिश में......


 हमें छोड़ कर न कहीं जाओ, आज बारिश में 
थोड़ी देर और ठहर जाओ, आज बारिश में
जैसे ये बूँदें समायीं थीं बादलों में अब तक 
वैसे तुम मुझ में समां जाओ, आज बारिश में |

थाम लो हाथ मेरा, ज़रा देर मेरे संग चलो
दो कदम साथ निभाओ, आज बारिश में 

जैसे ज़मीं की प्यास बुझा दी है  बादलो ने आकर 
मेरे दिल की भी आग बुझाओ, आज बारिश में |

 जलती शबनम को होंठों से लगाने की है ख्वाहिश मेरी 
आग से आग बुझाओ , आज बारिश में 

अब लाज-ओ-हया की अदा बहुत हुयी 
सनम अब और न शरमाओ, आज बारिश में 

हमें छोड़ कर न कहीं जाओ, आज बारिश में
थोड़ी देर और ठहर जाओ, आज बारिश में |

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह........बारिश को कैसे अंदाज में अभिव्यक्त किया है ....हर पंक्ति लाजबाब है ....!

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  2. रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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