कहते हैं ये है प्रेम जगत
पर प्रीत कहाँ?? अरे ! प्रीत कहाँ ?
सुनते है सब रोज़ ग़ज़ल
गीत कहाँ ? अरे गीत कहाँ ??
जलते हैं चराग अब हर घर में
पर दीप कहाँ ?? अरे दीप कहाँ ??
छिड़ते है राग सभी दिल में
संगीत कहाँ ?? संगीत कहाँ ??
गुलजार गुलिस्तान होता है
पर फूल यहाँ पर रोता है,
सब जीते है दुनिया की ख़ुशी
पर जीत कहाँ?? अरे जीत कहाँ??
मिलते है सभी दुनिया में मगर
अब मीत कहाँ?? अरे मीत कहाँ ??
कहते हैं ये है प्रेम जगत
पर प्रीत कहाँ?? अरे ! प्रीत कहाँ ??
dhanyawaad sir...
जवाब देंहटाएंbadhiya post bhaiya....
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजबरदस्त .
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक- 08-08-2011 सोमवार के चर्चा मंच पर भी होगी, सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंbahut sundr prastuti ...aisi kavita roz kahan
जवाब देंहटाएंpreet kahan ...sachchi preet kahan??
जवाब देंहटाएंvicharniye prastuti.achchi abhivyakti.
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंगुलज़ार गुलिश्तां होता है
जवाब देंहटाएंपर फूल यहाँ पर रोता है.
वाह!
सुन्दर अभिव्यक्ति...
सादर...
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder dhang se likhi gai bemisaal rachanaa.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएं"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत खुब कहा है ...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरा सवाल है।
जवाब देंहटाएं------
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंpreet ko preet hi pahchaane hain
जवाब देंहटाएंbaaki to sab bas naam hi jaane hain...
bahut hi sundar rachna...