"घुमड़ घुमड़ के बदरा गावै
सावन आवा झूमि के
रिमझिम-2 परै फ़ुहरिया
तुमहू नाचौ घूमि के"
तुमहू नाचौ, हमहू नाची
नाचै वन बीच मोरवा
नाचै वन बीच मोरवा
बिजुरी कड़कै, जियरा धड़कै
जेकरे मन मा चोरवा
कबहुँ ताकना, कबहुँ झांकना
जुगल प्रेम कै जोड़वा
कबहूँ नाद हो सभई साथ हो
हर-हर भोले थनवा
चलै झूमि के हवा गगन मा
गावत सरसर धुनवा
नदी लेति अंगड़ाई अइसन
मगन न कई दे धनवा
तबहूँ मस्त हैं, पिये पस्त हैं
दूध के साथे भंगवा
बरखा के संग गावें बम-बम
हरियाली कै गनवा
कइसन-
"घुमड़ घुमड़ के बदरा गावै
सावन आवा झूमि के
रिमझिम-2 परै फ़ुहरिया
तुमहू नाचौ घूमि के"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंbehtarin varsh geet..sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर भैया ........शानदार गीत :)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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