आज हुआ क्या ऐसा मानव,
जो आँखों में आंसू है |
आज हुआ क्या ऐसा मानव,
जो रोने का दिल करता है |
टूट गया क्या कोई सपना,
या बिछड़ा है कोई अपना |
माना क़ि दुःख होता है ,
जब कुछ ऐसा होता है |
सपने तो बनते और बिखरते है ,
जीवन में अपने मिलते और बिछड़ते है,
विरले होते है जो फिर भी बैठे हँसते है |
छोड़ ये सारी व्यर्थ क़ि चिंता ,
बस तू आगे बढ़ते जाना |
बिना रुके रस्तों में तू ,
मंजिल पर तू बढ़ते जाना |
सपने तो उनके पूरे होते है ,
जो टूटे सपने फिर से बैठ संजोते है |
कुछ फिर अपने मिल जाते है ,
जब हम आगे बढ़ते जाते है |
मेरा तू बस मान ये कहना,
आगे तू बस बढ़ते जाना,
व्यथित ह्रदय को भरते जाना |
फिर एक दिन ऐसा आएगा,
जब दुःख तेरा छट जायेगा |
तब कुछ ऐसा होगा मानव,
आँखों में रश्मि चमकेगी |
तब कुछ ऐसा होगा मानव ,
जीवन में खुसिया छलकेगी |
[इस चिट्ठे पर यह मेरी प्रथम रचना है| अपने विचार जरूर व्यक्त करे.बुरा सही जो भी हो जैसा भी हो अवश्य कहे |विचारों की प्रतीक्षा में आपका अनुज ......................................
---विशाल श्रीवास्तव ]
good ......too long, though, very good poem......
जवाब देंहटाएं" आज हुआ क्या ऐसा मानव जो रोने का दिल करता है "
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है |बधाई
आशा
aap sabhi ka dhanyavaad aapki amulya pratikriyao hetu.prayaash karunga ki aage aur santulit evam accha likhu.bas isi prakaar se apna pyar aur dular banaye rakhe.
जवाब देंहटाएंबहोत ही अच्छी रचना......
जवाब देंहटाएंsundar rachna....blog jagat mein swagat evam shubh kamnayen.........
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन....विचारो कि सजीवता क लिए बधाई....
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना .......उपस्थिति बनाये रखें विशाल जी
जवाब देंहटाएंsunder aur rachnatmak lekhan ki badhai. kabhi hum jaise ko bhi padhne ka waqt nikale. shukriya.
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो ब्लोगजगत मे आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंरचना बेहद सकारात्मक और सुन्दर संदेश देती है……………उम्दा प्रस्तुति।