तुम्हे शिकवा है कि हमको इश्क करना नहीं आता |
हमें ग़म है कि हमको आज बस इतना नहीं आता |
तुम्हारी हर शिकायत का जवाब भी है हमारे पास,
मगर हर बात को जुबाँ से हमें कहना नहीं आता |
हमें गम है कि......
अरमाँ लाख उठते हैं लहरों से, इस दिल में |
मगर लफ्जों में पिरो इनको, हमें ख़त लिखना नहीं आता |
हमें ग़म है कि......
हम हैं नासमझ, हमको न आता हो भले कुछ भी |
न कहना कि हमें तुम पर अभी मरना नहीं आता |
न कहना कि हमें तुम पर अभी मरना नहीं आता |
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जवाब देंहटाएंजब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई
bahut sundar prastuti
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