गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

मैं जिंदा हूँ ?



आज ज़िन्दा हूँ मैं फिर एक जमाने के बाद,

आये फिर याद मुझे वो, भूल जाने के बाद |
देके पल दो पल की ख़ुशी फिर वो लौट जायेंगे,
जो आज आये हैं सारी उम्र सताने के बाद |
आज ज़िन्दा हूँ......

करवटों में कटी रात, आँखों में थी नींद कहाँ
शमा बुझाई भी तो, सारी रात जलाने के बाद |
रात के संग हम भी जले इस क़दर,
राख़ भी ना मिली, हमको बुझाने के बाद |
आज ज़िन्दा हूँ........

रूठने का हुनर हमको भी आता है मगर,
खुद तड़पते हैं हम रूठ जाने के बाद |
उनके तेवर भी बदलते हैं मौसम की तरह,
खुद ही रूठ जायेंगे, वो हमको मनाने के बाद |
आज ज़िन्दा हूँ........

तन्हाई के दोज़ख में फिर वो मुझे छोड़ गए,
जन्नत-ए-इश्क के ख़्वाब दिखाने के बाद |
फिर ना आई मौत मुझे मर कर के भी,
आज जिंदा हूँ मै फिर मर जाने के बाद |

आज जिंदा हूँ मै फिर मर जाने के बाद |

(यह पोस्ट गलती से मिट गयी थी अतः पुनः पोस्ट कर रहा हूँ |)

8 टिप्‍पणियां:

  1. करवटों में कटी रात, आँखों में थी नींद कहाँ
    शमा बुझाई भी तो, सारी रात जलाने के बाद |

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  2. ye sher bahut kuch kahna chahta hai...pata nahi kitna safal hua.....

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  3. करवटों में कटी रात, आँखों में थी नींद कहाँ
    शमा बुझाई भी तो, सारी रात जलाने के बाद |

    बहुत खूब ....

    रूठने का हुनर हमको भी आता है मगर,
    खुद तड़पते हैं हम रूठ जाने के बाद |
    उनके तेवर भी बदलते हैं मौसम की तरह,
    खुद ही रूठ जायेंगे, वो हमको मनाने के बाद

    यह अदा भी निराली है ....सुन्दर गज़ल ..

    जवाब देंहटाएं
  4. करवटों में कटी रात, आँखों में थी नींद कहाँ
    शमा बुझाई भी तो, सारी रात जलाने के बाद |
    रात के संग हम भी जले इस क़दर,
    राख़ भी ना मिली, हमको बुझाने के बाद
    क्या बात है ...खूबसूरत पंक्तियाँ.

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  5. बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
    मगर फिर भी चाहता हूँ कुछ करूँ पिता के लिये----जन्मदिन पर विशेष
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  6. Yaar ye meri teesri sabse favorite kavita hai....

    Is kavita ko padh kar mujhe ek cheez do zarur

    yaad aa gai dost ki main bhi abhi tak ZINDA HOON..

    hehe.... :D ....

    wah bhai kya kavita hai waaah.

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