बुधवार, 20 जुलाई 2011

नहीं होता.....


कमबख्त ! महसूस नहीं होता, 
ठंडी हवाओं का भी झोंका 
अरमाँ बिखरे हैं दिल के ऐसे 
कि सुनाऊँ,.........नहीं होता!!!

विश्वान के गगन में 
यूँ चढ़ने के पहले  
चढ़ जाऊं बलि निशा के 
आख़िर,...... क्यूँ नहीं होता ??

सुना था बचपने में ये कि
सफ़र प्रेम का कठिन है |
यौवन के दिनों में जाना  
सरल........ क्यूँ नहीं होता ???


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