शनिवार, 23 जुलाई 2011

मिलन........कैसे??

दिल में जगे जज़्बात, 
दबाऊं कैसे?? 
होंठों पे आई बात,
छुपाऊँ कैसे??

हर शाम जहाँ जाता,
और रात था बिताता  
उस मय के दर-ओ-राह को 
भुलाऊँ कैसे ??
कोसा तो मैंने खूब 
ख़ुद को ख़ुदी में ख़ुद से 
पर चाह कर भी मालिक,ख़ुद को 
मिटाऊं कैसे ??

वो थी सदा-ए-जन्नत 
माँगा उसे दुआ में 
इंसान मैं, परी वो, जोड़ी
बनाऊं कैसे ??

दिल में जगे जज़्बात,
आखिर..........दबाऊं कैसे??

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