सुबह सवेरे रोज़ अँधेरे,
उठ कर हो गया तंग |
नहीं जागना नहीं भागना,
चाहे जो हो दंग |
चाहे जो हो दंग,
अंग में पीड़ा होती |
न जाना होता तो,
दिन भर क्रीडा होती |
क्रीडा होती मस्त,
गस्त करते हम दिन भर |
दिन से होती साँझ,
और हम सोते जी भर |
सोते जी भर यूँ कि,
जैसे मदिरा पी हो |
सपने में आती इक नारी ,
सुंदर सी जो |
सुंदर सी जो नार मिले,
तो ब्याह रचाता |
नहीं छोड़ता जीवन भर,
और साथ निभाता |
साथ निभाता इस से पहले
टुट गयी निंदिया |
घड़ी का कांटा एक तरफ,
एक तरफ थी खटिया |
बहुत खूब ................
जवाब देंहटाएंसुंदर
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