ऐ खुदा! तेरी ये दुनिया यूँ बदलती क्यूँ है??
जिनसे गुजरे थे कल, वो राहें फिर से न गुजरती क्यूँ हैं??
ये जो गलियाँ हैं लगाती थी बचपन में दौड़ हमसे
आज अजनबियों सी खड़ी हमें यूँ तकती क्यूँ हैं??
ऐ खुदा....
अपनी गोदी में ले मुझको सुलाती थी जो,
पत्ते टकराकर मीठी लोरी सुनाती थी जो,
जो मेरे बालो में हाथ फेरकर सहलाती थी
बूढ़े पीपल से वो हवा मस्त न चलती क्यूँ है |
ऐ खुदा....
वो गौरैया जो छप्पर में थी अंडे देती
अपने बच्चों को खुद लाकर थी दाने देती
जो जगाती थी मुझे हर सुबह चीं-चीं करके
मेरे आँगन में वो अब न चहकती क्यूँ है ??
ऐ खुदा ....
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