सोमवार, 15 अगस्त 2011

कल और आज ...

चल रहे है आज भी हम यहाँ
राह भी वही रहगुजर है वही
 बस किस्मत ही बदल गयी चलते हुए
इसमें नहीं दोष रहा इन क़दमों का |


हम चले थे आज भी उसी साहिल से
नही है तो बस साथ  लहरों  का
ये  तूफाँ  ही बहा ले गया दूर उसको
 इसमें  नही दोष रहा इन  बूंदों  का |

मंजिलें थी तो आज भी  वहीँ
और टिका साहिल भी  वहीं था
कुछ साथ न था तो वो गुजरा कल
इसमें नहीं दोष  रहा इन  लहरों  का |


यहाँ के नज़ारे आज भी उतने हसीं हैं
की हर दिल यहाँ फिर से  जवाँ हो जाते हैं
ओझल हो गई तो बस अपनी खिलखिलाहट
 इसमें नहीं दोष  रहा इन  नज़रों का |

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