हुस्न की धूप, प्यार की बयार दे दो तुम,
ऐ खुदा ! वो सुबह एक बार दे दो तुम ।
उसको पाकर ही मेरे दिल को चैन आएगा
मेरा सुकून वो मेरा करार दे दो तुम
शहर फिजूल है, ये शहर अपने पास रखो
इंतेजा है कि बस कूचा-ए-यार दे दो तुम
बड़े दिनों के हैं ताल्लुकात तेरे मेरे
दोस्ती निभाओ, अमां यार दे दो तुम
मेरे जीने का फैसला तुझे ही करना है
मुझे घर दो चाहे मज़ार दे दो तुम
मेरा हक़ है जो मांगा है मैंने तुझसे खुदा
मैंने कब मांगा के मुझको उधार दे दो तुम
मेरा हक़ है जो मांगा है मैंने तुझसे खुदा
जवाब देंहटाएंमैंने कब मांगा के मुझको उधार दे दो तुम
वाह खूबसूरत शे'र ....बधाई
मेरा हक़ है जो मांगा है मैंने तुझसे खुदा
जवाब देंहटाएंमैंने कब मांगा के मुझको उधार दे दो तुम
yah sher to bakai sher hai vikram ji mubarak ho
मेरे जीने का फैसला तुझे ही करना है
जवाब देंहटाएंमुझे घर दो चाहे मज़ार दे दो तुम
simply superb bro....keep up the gud work
gazab bhai jaan.......maza aa gaya..
जवाब देंहटाएंbahut khoob bhai ! mere blog ko bhi visit karen ! dhayavaad ! www.aditya-justkidding.blogspot.com
जवाब देंहटाएंVery nice attempt vikram............:)
जवाब देंहटाएंबड़ा माँगा है ह़क खुद का खुदा से तुमने ,
जवाब देंहटाएंकभी खुद को खुदा पे वार दे दो तुम
वाह मै कायल हो गया हूँ इन शेरो का
जवाब देंहटाएंअपनी इन पंक्तियो को उधार दे दो तुम