बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से
यूँ चैन चुराकर जाती हो...
तुमने ही सिखाया था मुझको
सूनी तन्हा रातो मे जगना...
चंदा में देखना प्रियतम को
उँगलियो पर तारों को गिनना...
इक पाठ पढ़ाया था तुमने
पीरतम हृदय मे बसता है
पर तोड़ नियम अपना खुद तुम
नस नस मे उतरती जाती हो
बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से
यूँ चैन चुराकर जाती हो...
करो याद चाँदनी रात वो तुम
जब हम तुम तन्हा थे छत पर
मापा था प्रेम को जब हमने
अंबर के तारों को गिनकर
घंटों मौन, इक दूजे को जब
हमने देखा था आँखों आँखों मे
उस दिन सीखा था कैसे सुनते हैं
आँखों की बातें आँखों से
पर आज कहो मैं कैसे सुनूँ
जब आँख छुपाकर जाती हो ??
बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से
यूँ चैन चुराकर जाती हो...