मंगलवार, 20 सितंबर 2011

प्रेम की सीख




बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से 
यूँ चैन चुराकर जाती हो...

तुमने ही सिखाया था मुझको 
सूनी तन्हा रातो मे जगना...
चंदा में देखना प्रियतम को
उँगलियो पर तारों को गिनना...
इक पाठ पढ़ाया था तुमने 
पीरतम हृदय मे बसता है
पर तोड़ नियम अपना खुद तुम 
नस नस मे उतरती जाती हो


बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से 
यूँ चैन चुराकर जाती हो...


करो याद चाँदनी रात वो तुम 
जब हम तुम तन्हा थे छत पर
मापा था प्रेम को जब हमने 
अंबर के तारों को गिनकर 
घंटों मौन, इक दूजे को जब 
हमने देखा था आँखों आँखों मे 
उस दिन सीखा था कैसे सुनते हैं
आँखों की बातें आँखों से 
पर आज कहो मैं कैसे सुनूँ 
जब आँख छुपाकर जाती हो ??

बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से 
यूँ चैन चुराकर जाती हो...


बुधवार, 14 सितंबर 2011

हमसफ़र



 बस दो कदम और साथ आओ तो सही 
साथ चलने का वादा निभाओ तो सही 

तुम ही कहते थे चलोगे साथ मेरे सदा 
और कहते थे "कभी आजमाओ तो सही"

इतना बड़ा सफ़र देखो बातों में कट गया
चुप न रहो, गीत कोई सुनाओ तो सही 

रूठ कर मुँह न फेरो ऐ मेरे हमसफ़र 
हुई है क्या खता ये बताओ तो सही 

था ये मुश्किल सफ़र, राह थी बड़ी कठिन 
सामने है अब मंज़िल, मुस्कुराओ तो सही 

हो जायेगा "विक्रम" आसान हर सफ़र 
कोई हाथ हाथों में लेकर कदम बढाओ तो सही 

लोकप्रिय पोस्ट