बस दो कदम और साथ आओ तो सही
साथ चलने का वादा निभाओ तो सही
तुम ही कहते थे चलोगे साथ मेरे सदा
और कहते थे "कभी आजमाओ तो सही"
इतना बड़ा सफ़र देखो बातों में कट गया
चुप न रहो, गीत कोई सुनाओ तो सही
रूठ कर मुँह न फेरो ऐ मेरे हमसफ़र
हुई है क्या खता ये बताओ तो सही
था ये मुश्किल सफ़र, राह थी बड़ी कठिन
सामने है अब मंज़िल, मुस्कुराओ तो सही
हो जायेगा "विक्रम" आसान हर सफ़र
कोई हाथ हाथों में लेकर कदम बढाओ तो सही
बढ़िया!!
जवाब देंहटाएंअच्छे खुबसूरत शेर , मुबारक हो भाई
जवाब देंहटाएंउड़न तश्तरी हमारे घर भी कुछ पल ठहरी...बहुत बहुत शुक्रिया समीर जी...:)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुनील जी....:)
जवाब देंहटाएंलगे रहो।
जवाब देंहटाएंkadam badhate rahiye janab aahista aahista
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