बेशक गुज़रो मेरी गली से, मगर नकाब ओढ़ के |
न गिराओ किसी पर बर्क-ए-हुस्न मुझे छोड़ के |
ये बिजलियाँ मुझ पे गिराओ मैं जलना चाहता हूँ
हद है तेरा हुस्न, मैं हद से गुजरना चाहता हूँ
हदें तोड़ जमाने की, मुझ पर एतबार तो कर |
मैंने सौ बार किया, तू भी इक बार तो कर |
तू भी इक बार किसी से प्यार कर के तो देख |
सर्द रात छत पे किसी का इंतज़ार करके तो देख |
किसी का इंतज़ार गर न मज़ा देने लगे तो कहना,
बाद-ए-सबा भी उसका न पता देने लगे तो कहना
बाद-ए-सबा बनीं क़ासिद-ओ-हमराज़ प्यार मे देखो |
उड़ा के ले गयी ख़त वो मेरा आज प्यार मे देखो |
ख़त मे था लिखा, जो हवा आई उनके घर छोड़ के |
बेशक गुज़रो मेरी गली से, मगर नकाब ओढ़ के |
very nice ......keep it up!
जवाब देंहटाएंbahut khoob....:)
जवाब देंहटाएंसुंदर विचार!!
जवाब देंहटाएंबहुत गहरा लेखन ||
साधुवाद ||